Investigation: अंचल कार्यालयों में चरम पर जमीन से जुड़े भ्रष्टाचार

राँची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। Investigation: झारखंड की राजधानी रांची को जलप्रपातों का शहर और प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना माना जाता है। लेकिन इन दिनों यह एक गंभीर समस्या से जूझ रही है। रांची जिले के विभिन्न अंचल कार्यालयों खासकर कांके, नगड़ी, ओरमांझी और नामकुम में जमीन से संबंधित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की खबरें सुर्खियों में हैं।
इन क्षेत्रों में रैयती और गैर-मजरुआ जमीनों के फर्जी दाखिल-खारिज, अवैध कब्जे और जाली दस्तावेजों के जरिए भू-माफियाओं द्वारा किए जा रहे गोरखधंधे ने प्रशासनिक पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रांची दर्पण और अन्य समाचार स्रोतों की हालिया रिपोर्ट्स इस भ्रष्टाचार के जटिल जाल को उजागर करती हैं, जिसने न केवल स्थानीय रैयतों को परेशान किया है, बल्कि सरकार की साख को भी दांव पर लगा दिया है।
कांके अंचल बना भ्रष्टाचार का गढ़ः कांके अंचल कार्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का केंद्र बन चुका है। रांची दर्पण की एक हालिया खबर के अनुसार, कांके में रैयती जमीनों के फर्जी दाखिल-खारिज और ऑनलाइन रसीद निर्गमन का एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जिसमें अंचल कार्यालय के कतिपय कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। इस गिरोह ने पंजी-2 में हेरफेर कर भोले-भाले रैयतों को गुमराह किया और उनकी जमीनों को अवैध रूप से हस्तांतरित कर दिया।
रांची उपायुक्त ने हाल ही में कांके के कामता मौजा में गैर-मजरुआ जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। एक जनता दरबार में सामने आए मामले में खाता नंबर-4, प्लॉट नंबर-112 और 81 की जमीन पर दो अलग-अलग लोगों के नाम से रसीद जारी की गई, जबकि शिकायतकर्ता के पास इसका निबंधन और ऑनलाइन लगान रसीद थी।
उपायुक्त ने इस मामले में जांच के लिए एक जिलास्तरीय टीम गठित की, जिसमें अंचल अधिकारी, अमीन और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत ऐसी अनियमितताओं के लिए 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान है।
वहीं नामकुम अंचल कार्यालय में हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना ने सबका ध्यान खींचा। नए अंचल अधिकारी (सीओ) ने कार्यालय का ताला तोड़कर पदभार ग्रहण किया, क्योंकि निर्धारित समय पर कार्यालय नहीं खोला गया था।
इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद डीसी ने जांच के आदेश दिए और 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी। यह घटना प्रशासनिक अव्यवस्था और लापरवाही का प्रतीक बन गई, जो नामकुम में जमीन से जुड़े मामलों में अनियमितताओं को और उजागर करती है।
ईडी की एक अन्य छापेमारी में नामकुम के पूर्व अंचल अधिकारी और अन्य अधिकारियों के ठिकानों पर कार्रवाई की गई। यह छापेमारी जमीन घोटाले से जुड़े केस मैनेज करने के मामले में थी, जिसमें वकील सुजीत कुमार और जमीन कारोबारी संजीव पांडेय ने कथित तौर पर 6 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
नगड़ी और ओरमांझी अंचल कार्यालय भी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से अछूते नहीं हैं। इन क्षेत्रों में भू-माफियाओं द्वारा गैर-मजरुआ और रैयती जमीनों पर अवैध कब्जे की शिकायतें बढ़ रही हैं।
रांची दर्पण की एक रिपोर्ट में बताया गया कि रजिस्ट्री कार्यालयों की संदिग्ध भूमिका भी जांच के घेरे में है। पुराने कागजातों में हेरफेर कर जाली दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, जिसके आधार पर भू-माफिया जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं।
ओरमांझी में गैर-मजरुआ जमीनों पर अवैध निर्माण की शिकायतें भी सामने आई हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अंचल कार्यालयों में कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर अनियमितताएं संभव नहीं हैं।
नगड़ी में भी जमीन के म्यूटेशन और रसीद निर्गमन में गड़बड़ियों की शिकायतें आम हैं। जनता दरबार में इन क्षेत्रों से आने वाले अधिकांश मामले भूमि विवाद, म्यूटेशन और अतिक्रमण से संबंधित हैं।
रांची जिला प्रशासन ने इन समस्याओं से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। फिलहाल रांची उपायुक्त के निर्देश पर हर मंगलवार को सभी अंचल कार्यालयों में जनता दरबार का आयोजन किया जा रहा है। इन दरबारों में भूमि विवाद, म्यूटेशन और अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर सुनवाई होती है।
नामकुम सीओ के अनुसार एक जनता दरबार में 100 से अधिक शिकायतकर्ता पहुंचे, जिनमें से 20 से अधिक मामले हेसाग और तुपुदाना मौजा के जमीन रसीद कटाने से संबंधित थे। कई मामलों का निपटारा मौके पर ही किया गया, जबकि कुछ में शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया गया।
झारखंड अंगेस्ट करप्शन इन अनियमितताओं को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में जुटी है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो रैयतों को भारी नुकसान होगा और सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। कई लोग मानते हैं कि अंचल कार्यालयों में पारदर्शिता की कमी और भू-माफियाओं की सक्रियता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
रांची के रजिस्ट्री कार्यालय भी इन घोटालों में संदिग्ध भूमिका निभा रहे हैं। रांची दर्पण की रिपोर्ट के अनुसार पुराने कागजातों में हेरफेर कर जाली दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें सत्यापित प्रतियों के रूप में प्रस्तुत कर रैयतों को गुमराह किया जा रहा है। यह प्रक्रिया भू-माफियाओं को अवैध कब्जे में मदद करती है।
बहरहाल रांची के अंचल कार्यालयों में जमीन से संबंधित अनियमितताएं और भ्रष्टाचार एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं। कांके, नगड़ी, ओरमांझी और नामकुम जैसे क्षेत्रों में भू-माफियाओं की सक्रियता, अधिकारियों की मिलीभगत और प्रशासनिक लापरवाही ने रैयतों का जीवन दूभर कर दिया है। क्योंकि अंतिम दारोमदार उसी कड़ी पर आ टिकती है, जो समस्यागत जिम्मेवार हैं।