
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड के महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार और जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो ने रांची विश्वविद्यालय के खोरठा क्षेत्रीय जनजातीय भाषा विभाग की विभागाध्यक्ष, प्रख्यात शिक्षाविद् और लेखिका डॉ. कुमारी शशि की कृति ‘दुखिया’ खोरठा उपन्यास का विमोचन किया। इस अवसर पर झारखंड के चर्चित लेखक देवकुमार द्वारा रचित पुस्तक ‘मैं हूं झारखंड’ और ‘बिरहोर हिंदी-अंग्रेजी शब्दकोश’ भी महामहिम को भेंट की गई।
‘दुखिया’ एक मार्मिक खोरठा उपन्यास है, जिसमें झारखंड की ग्रामीण महिलाओं के जीवन, उनकी समस्याओं और संघर्षों का जीवंत और संवेदनशील चित्रण किया गया है। यह रचना न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक जागरूकता और महिला सशक्तीकरण के लिए भी एक प्रेरणादायक कदम है।
विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा कि डॉ. कुमारी शशि की यह रचना समाज में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करती है। ‘दुखिया’ न केवल एक साहित्यिक कृति है, बल्कि यह समाज में महिलाओं के मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस उपन्यास के माध्यम से झारखंड की महिलाओं के जीवन को समझने का एक सशक्त प्रयास किया गया है, जो सराहनीय है।
उन्होंने लेखिका को बधाई देते हुए कहा कि यह कृति समाज के हर वर्ग को प्रेरित करेगी और विशेष रूप से महिलाओं को अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो ने अपने प्रेस संबोधन में साहित्य की सामाजिक प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का आईना है। यह हमें समाज की सच्चाइयों से रूबरू कराता है। आज 21वीं सदी में भी महिलाओं को कई क्षेत्रों में उपेक्षा और प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। ‘दुखिया’ जैसी रचनाएं महिलाओं में आत्मविश्वास और क्रांति की भावना जागृत करेंगी। यह उपन्यास समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर महिलाओं का कसूर क्या है?
उन्होंने यह भी जोड़ा कि साहित्य के प्रति महिलाओं की रुचि को बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि वे अपनी कहानियों को स्वयं व्यक्त कर सकें और समाज में बदलाव ला सकें।
लेखिका डॉ. कुमारी शशि ने अपने उपन्यास के बारे में बताते हुए कहा कि दुखिया’ हर उस महिला की कहानी है, जो समाज की उपेक्षा और जीवन की कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती है। इस उपन्यास में एक ऐसी ग्रामीण महिला की कहानी है, जिसके जीवन में सुख कभी नहीं आया। घर होते हुए भी वह बेघर है, माता-पिता होते हुए भी अनाथ जैसी है और समाज द्वारा बहिष्कृत होने के बावजूद वह हार नहीं मानती। यह उपन्यास हर महिला को पढ़ना चाहिए, क्योंकि यह न केवल उनकी समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि उनके साहस और दृढ़ता को भी दर्शाता है।
उन्होंने आगे कहा कि जीवन में सुख और दुख चरखे के पहिए की तरह घूमते रहते हैं, लेकिन कुछ महिलाओं के जीवन में दुख ही दुख होता है। फिर भी, वे अपने हौसले से समाज की रूढ़ियों को चुनौती देती हैं। यह उपन्यास ऐसी ही एक महिला की प्रेरणादायक यात्रा है।
विमोचन समारोह में जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष श्री देवेंद्र नाथ महतो, लेखक श्री अनंत महतो, श्री देवकुमार, श्री सुमार महतो, लेखिका डॉ. कुमारी शशि, और छात्र नेता श्री चंदन कुमार रजक सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। समारोह में उपस्थित सभी लोगों ने इस उपन्यास को झारखंड की साहित्यिक और सामाजिक विरासत में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया।
दरअसल ‘दुखिया’ केवल एक उपन्यास नहीं, बल्कि एक सामाजिक दस्तावेज है, जो झारखंड की महिलाओं के संघर्ष, उनकी पीड़ा और उनके साहस को दर्शाता है। यह रचना न केवल खोरठा साहित्य को समृद्ध करती है, बल्कि समाज में बदलाव की एक नई लहर लाने का प्रयास भी करती है। डॉ. कुमारी शशि की यह कृति निश्चित रूप से पाठकों को सोचने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगी।