
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की धरती खनिज संपदा से भरपूर है, लेकिन यहां के मूल निवासियों की आवाज अक्सर दबा दी जाती है। ऐसा ही एक मामला हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में स्थित गोंदलपुरा कोल ब्लॉक से जुड़ा है, जहां मेसर्स अडानी पावर कंपनी पर अवैध खनन का आरोप लगाते हुए स्थानीय रैयतों ने अपनी लड़ाई को नई ऊंचाई दी है।
12 अप्रैल 2023 से जारी आंदोलन के प्रमुख नेता और जेएलकेएम (झारखंड लिबरेशन कोऑर्डिनेशन मूवमेंट) के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो ने एक सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा। इस मुलाकात ने न केवल स्थानीय मुद्दों को राज्य स्तर पर उजागर किया, बल्कि पूंजीपतियों की मनमानी पर सवाल भी खड़े किए।
देवेंद्र नाथ महतो झारखंड के मूलवासियों के अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्षरत हैं। उन्होंने इस मौके पर अपनी बात रखते हुए कहा कि झारखंड में 40 प्रतिशत खनिज संपदा है, लेकिन यहां के ग्राम सभा और स्थानीय रैयतों की सहमति के बिना अवैध खनन कार्य पर रोक लगनी चाहिए। अडानी, अंबानी, टाटा और बिड़ला जैसे बड़े पूंजीपति झारखंड को अपनी बपौती न समझें, वरना उन्हें राज्य से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इनकी मनमानी के कारण ही झारखंडी मूलवासी पलायन करने को मजबूर हैं, अब यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल विजय कुमार साहू, विनय कुमार, वैद्यनाथ राय, मुजीबुर्रहमान अंसारी, कमलेश कुमार सिंह और अरुण कुमार जैसे सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर अपनी एकजुटता दिखाई।
ज्ञापन में विस्तार से बताया गया है कि गोंदलपुरा कोल ब्लॉक में मेसर्स अडानी इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित लगभग 551 एकड़ रैयती जमीन, 542 एकड़ वनभूमि और 173 एकड़ गैर-मजरुआ जमीन कुल मिलाकर 1268 एकड़ क्षेत्र पर अवैध तरीके से कोयला खनन का प्रस्ताव है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस कार्य के लिए न तो ग्राम सभा की सहमति ली गई है और न ही स्थानीय रैयतों से कोई परामर्श किया गया। महतो ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों की संवैधानिक आवाज को दबाने के लिए फर्जी मुकदमे थोपे जा रहे हैं और अब तक 6 निर्दोष ग्रामीणों को जेल भी भेजा जा चुका है।
उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र बहु-फसली उपजाऊ भूमि है, जहां घने जंगल में हाथी समेत अन्य वन्य जीव-जंतु निवास करते हैं। अवैध खनन से न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचेगा, बल्कि मनुष्यों का जीवन भी अस्त-व्यस्त हो जाएगा। ज्ञापन में मांग की गई है कि ग्रामीणों की सहमति के बिना इस खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए।
श्री महतो ने कहा कि यह सिर्फ जमीन का सवाल नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, पर्यावरण और अस्तित्व का सवाल है। पूंजीपतियों की लूट ने झारखंड को खोखला कर दिया है, लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे।
महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार ने इस ज्ञापन को गंभीरता से लेते हुए आश्वासन दिया है कि वे मामले की जांच और समाधान के लिए राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार को लिखित रूप से अवगत कराएंगे। उनकी यह प्रतिक्रिया आंदोलनकारियों के लिए एक उम्मीद की किरण है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ आश्वासन तक सीमित रहेगा या वास्तविक कार्रवाई होगी?
बहरहाल ऐसे मामले झारखंड के उन असंख्य मुद्दों का प्रतिनिधित्व करती है जहां विकास के नाम पर मूल निवासियों के अधिकारों की अनदेखी की जाती है। अवैध खनन न केवल पर्यावरण को नष्ट करता है, बल्कि सामाजिक असमानता को भी बढ़ावा देता है।