Home प्रशासन 90 करोड़ खर्च के बाबजूद यूं गंदा नाला बना है हरमू नदी!

90 करोड़ खर्च के बाबजूद यूं गंदा नाला बना है हरमू नदी!

Despite spending 90 crore rupees, the Harmu river has turned into a dirty drain!

रांची दर्पण डेस्क। जरा कल्पना कीजिए कि राजधानी रांची की हृदय रेखा पर बहती हरमू नदी को एक चमचमाती हरी-भरी सैरगाह में बदलने के लिए 90 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। जुडको ने करोड़ों की मेहनत लगाई, लेकिन नतीजा? नदी अब भी एक गंदा बदबूदार नाला ही बनी हुई है, जहां दिन-रात सीवर का काला पानी बहता रहता है और सूअरों का झुंड मस्ती करता फिरता है। क्या यह सिर्फ लापरवाही है या फिर भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें? हर तरफ सवाल उठ रहा है कि क्या कभी बचेगी यह नदी?

हरमू नदी कभी रांची की शान थी। आज शहर की सबसे बड़ी शर्मिंदगी बन चुकी है। नदी के सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट पर 90 करोड़ से अधिक का खर्च होने के बावजूद यहां दर्जनों नालों से गंदा पानी गिरता रहता है।

विद्यानगर, करमटोली चौक के पास, मुक्तिधाम के निकट, निजाम नगर, कडरू, निवारणपुर, रामनगर, कृष्णापुरी, लोअर चुटिया और केतारीबागान आदि जैसे जगहों पर नाले का जहर नदी में घुलता नजर आता है। मुक्तिधाम के पास तो हालत ऐसी है कि दिन के उजाले में भी सूअरों का झुंड नदी किनारे मलबे में छानबीन करता दिख जाता है।

समस्या सिर्फ गंदगी तक सीमित नहीं। नदी के किनारों पर खुलेआम अवैध खटाल चल रहे हैं, जहां गोबर सीधे नदी में बहाया जाता है। पॉलिथीन के ढेर, प्लास्टिक की बोतलें और घरेलू कचरा- सब कुछ नदी को लील रहा है। प्रशासन इन खटालों की पूरी जानकारी है, लेकिन कार्रवाई? महीने-दो महीने में एक अभियान चला, जुर्माना वसूल लिया और फिर चुप्पी। यह तो रस्म अदायगी है। असली समस्या पर कोई हाथ नहीं डालता।

झारखंड हाईकोर्ट ने तो कई बार जिला प्रशासन और रांची नगर निगम को फटकार लगाई है। अदालत ने साफ आदेश दिया कि नदी का सौंदर्यीकरण करो, अतिक्रमण हटाओ, गंदगी साफ करो। लेकिन क्या हुआ? छोटे-मोटे अस्थायी ढांचे तोड़ दिए, फोटो खिंचवा लिए और दावा कर दिया कि नदी ‘मुक्त’ हो गई।

वहीं हकीकत में अतिक्रमण अब भी कायम हैं और नदी की हालत जस की तस। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तत्काल कदम न उठाए गए तो यह नदी पूरी तरह मर जाएगी, जो रांची की पारिस्थितिकी को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचाएगी।

अब कई नागरिक संगठनों ने हाईकोर्ट में फिर से शिकायत दर्ज करने का फैसला किया है। 90 करोड़ कहां गए? इसका हिसाब दो। यह नारा रांची की सड़कों पर गूंजने लगा है। क्या हरमू नदी को नया जीवन मिलेगा, या यह बदबूदार कहानी यूं ही चलती रहेगी? प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान देने को तैयार नहीं।

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