
झारखंड अब सिर्फ खनिजों का राज्य नहीं, बल्कि पर्यटन का स्वर्ग बनने की राह पर है। यदि आप भी प्रकृति प्रेमी हैं तो जल्द ही झारखंड की यात्रा प्लान करें। यहां हर कदम पर एक नई कहानी इंतजार कर रही है..
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की प्रकृति की गोद में बसी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरें पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं। यहां की हरी-भरी वादियां, झरने, जंगल और प्राचीन मंदिर न केवल आंखों को सुकून देते हैं, बल्कि आत्मा को भी छू जाते हैं। ‘जोहार’ के स्वागत से शुरू होने वाला सफर अब और भी रोमांचक होने वाला है। राज्य सरकार ने झारखंड के 528 से अधिक प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन हब में बदलने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है।
झारखंड पर्यटन विभाग और झारखंड पर्यटन विकास निगम (जेटीडीसी) मिलकर इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि झारखंड की विविधता ही इसकी ताकत है। यहां हर जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। चाहे वह आदिवासी संस्कृति हो, धार्मिक स्थल हों या फिर खनन की अनोखी विरासत। इस योजना के तहत कई नवीन पहलें शुरू की गई हैं, जो पर्यटन को डिजिटल और पर्यावरण-अनुकूल बनाने पर जोर दे रही हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल माध्यमों का सहारा लिया जा रहा है। झारखंड पर्यटन की ऑनलाइन पहचान को सशक्त बनाने के लिए जेटीडीसी ने अपनी नई वेबसाइट लॉन्च की है, जहां पर्यटक आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा इन्फ्लुएंसर्स के साथ साझेदारी कर डिजिटल उपस्थिति को और मजबूत किया गया है।
एक विशेष इन्फ्लुएंसर एंगेजमेंट योजना शुरू की गई है, जिसमें डिजिटल क्रिएटर्स को जोड़ा जा रहा है। इस योजना के तहत इन्फ्लुएंसर्स को 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जा सकती है, ताकि वे झारखंड की सुंदरता को सोशल मीडिया पर प्रमोट कर सकें। डिजिटल विज्ञापन अभियान भी चलाए जा रहे हैं, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पर्यटन स्थलों की झलकियां दिखा रहे हैं।
नई ब्रांडिंग के तहत जेटीडीसी और झारखंड पर्यटन का नया लोगो जारी किया गया है, जो राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है। पर्यटन दिवस पर जिला स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें स्थानीय समुदायों को शामिल कर पर्यटन के लाभों के बारे में बताया जा रहा है।
राज्य के प्रमुख डैमों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, ताकि वे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकें। पलामू जिले में स्थित बेतला नेशनल पार्क के वन विहार होटल का नवीनीकरण पूरा हो चुका है, जहां अब आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। एक अनोखी पहल के रूप में ‘माइनिंग टूरिज्म सर्किट’ शुरू किया गया है, जो झारखंड की खनन विरासत को पर्यटकों के सामने पेश करता है। पर्यटक यहां खदानों की यात्रा कर राज्य की औद्योगिक इतिहास को समझ सकेंगे।
पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘इको रिट्रीट’ फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है, जहां पर्यटक प्रकृति के बीच रहकर आराम कर सकेंगे। धार्मिक पर्यटन को मजबूत करने के लिए तमाड़ से लेकर बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू तक एक सर्किट विकसित करने की योजना है। इसके अलावा ग्लास ब्रिज और हेली शटल सेवा जैसी आधुनिक सुविधाएं भी जल्द शुरू होने वाली हैं।
रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान देते हुए पर्यटन स्थलों के पास होम स्टे का निर्माण कराया जा रहा है। इससे स्थानीय निवासियों को आय का स्रोत मिलेगा और पर्यटक झारखंडी खान-पान व संस्कृति का असली स्वाद चख सकेंगे। सरकार ने मेक माय ट्रिप के साथ एमओयू साइन किया है, जो पर्यटन पैकेजों को ऑनलाइन उपलब्ध कराएगा और बुकिंग को आसान बनाएगा।
विभाग के आंकड़े इस योजना की सफलता की कहानी बयां करते हैं। हर साल औसतन साढ़े तीन करोड़ देसी-विदेशी पर्यटक झारखंड पहुंचते हैं, जिनमें करीब दो लाख विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं। लॉकडाउन के बाद 2021 में 3.34 करोड़ पर्यटक आए। अगस्त माह में सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। 2024 के आंकड़ों के अनुसार जुलाई में 60 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे, जबकि सितंबर में यह संख्या 51,18,177 रही। 2023 में 13,178 विदेशी पर्यटकों ने झारखंड का दौरा किया।
पर्यटन स्थलों को श्रेणीबद्ध किया गया है। ए श्रेणी में 37 प्रमुख स्थल जैसे देवघर का वैद्यनाथ धाम, त्रिकूट पहाड़, रिखिया धाम; साहिबगंज का उधवा पक्षी विहार; दुमका का बासुकीनाथ धाम और मलूटी मंदिर; रजरप्पा मंदिर तथा जगन्नाथ मंदिर। बी श्रेणी में 57, सी में 112 और डी में 322 स्थल शामिल हैं।
सरकार पर्यटन क्षेत्र में निवेशकों को आमंत्रित कर रही है। होटल, रिसॉर्ट और एडवेंचर पार्क जैसी परियोजनाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह योजना न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि राज्य की जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।