
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची के कांके अंचल में भूमि घोटालों की श्रृंखला जारी है। एक ओर उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और जनता को न्याय दिलाने के दावे कर रहे हैं तो दूसरी ओर जमीनी स्तर पर दलालों का बोलबाला बरकरार है। आम लोगों की शिकायतें अंचल कार्यालय तक नहीं पहुंच पातीं, जबकि प्रभावशाली लोगों के काम बिना रुकावट पूरे हो रहे हैं।
ताजा मामला और भी चौंकाने वाला है। नगड़ी मौजा की अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी की एक जमीन का दाखिल-खारिज ‘मिश्रा जी’ के नाम पर कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, ‘मिश्रा जी’ राज्य के सत्ताधारी वर्ग से काफी करीबी हैं और उनके पास कई महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेजों की जिम्मेदारी रही है। झारखंड में CNT/SPT एक्ट के तहत ST भूमि का गैर-आदिवासियों को हस्तांतरण सख्ती से प्रतिबंधित है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर यह अवैध जमाबंदी कैसे संभव हो गई?
यह खुलासा लोकतंत्र19 डॉट कॉम ने अपने सूत्रों के आधार पर किया है। पोर्टल का दावा है कि उनके पास इस घोटाले के पुख्ता सबूत मौजूद हैं और जल्द ही वे सभी दस्तावेज सार्वजनिक करेंगे। जब इस मामले में कांके के मौजूदा अंचलाधिकारी अमित नायक से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इसे अपने कार्यकाल से पहले का मामला बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने कहा कि पूर्व CO ने यह कार्रवाई की होगी, लेकिन जांच और दोषियों पर कार्रवाई का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया।
सूत्रों की मानें तो कांके अंचल में दलालों की पैठ इतनी गहरी है कि कुछ महीने पहले उपायुक्त के निर्देश पर दलालों की लिस्ट तैयार कर कार्यालय में चस्पा की गई थी। आदेश था कि लिस्ट में शामिल लोग कार्यालय परिसर में दिखें तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। लेकिन यह सख्ती ज्यादा दिनों तक नहीं टिकी। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर में कांके अंचल की पिकनिक पार्टी दिखी, जिसमें स्टाफ से ज्यादा दलाल नजर आ रहे थे। इससे सिस्टम में व्याप्त मिलीभगत साफ झलकती है।
यह मामला केवल एक जमीन का नहीं, बल्कि पूरे राजस्व विभाग में फैले भ्रष्टाचार का प्रतीक है। ST भूमि का अवैध हस्तांतरण कानून का खुला उल्लंघन है और आदिवासी समुदाय के अधिकारों पर सीधा प्रहार। लोकतंत्र19 ने ऐलान किया है कि वे जल्द सभी सबूतों को सार्वजनिक करेंगे, ताकि सच सबके सामने आए।
अब निगाहें रांची जिला प्रशासन और उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री पर टिकी हैं। क्या इस गंभीर आरोप पर त्वरित जांच और कार्रवाई होगी, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दब जाएगा? ऐसे खुलासे झारखंड में भूमि सुधारों की हकीकत उजागर कर रहे हैं और न्याय की मांग को और मजबूत बना रहे हैं। जनता इंतजार कर रही है कि कब दलालों पर नकेल कसी जाएगी।











