झारखंड रत्न संगीतज्ञ और शिक्षाविद एसपी गुप्ता के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई प्रमुख हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने X पर लिखा है कि झारखंड ने एक महान कलाकार और शिक्षक खो दिया। उनका योगदान हमेशा याद रहेगा। संगीत और शिक्षा जगत के दिग्गजों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है…
राँची दर्पण डेस्क। झारखंड की संगीत और शिक्षा जगत की एक चमकती हुई नक्षत्र आज हमेशा के लिए अस्त हो गई। झारखंड रत्न से सम्मानित प्रख्यात संगीतज्ञ, ध्रुपद-धमार गायक और ए-वन पब्लिक स्कूल के संचालक एसपी गुप्ता का पार्थिव शरीर रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। उनका निधन 17 अक्टूबर को हुआ था, जिसके बाद शोक की लहर दौड़ गई।
राँची के बरियातू स्थित उनके निवास ‘सुरमलती कुंज’ (बिरला कोठी के निकट) से अंतिम यात्रा दोपहर एक बजे निकली, जिसमें संगीत प्रेमी, शिक्षक, छात्र और स्थानीय निवासी बड़ी संख्या में शामिल हुए। अंतिम संस्कार स्थानीय श्मशान घाट में संपन्न हुआ, जहां परिवारजनों और शुभचिंतकों ने आंसू भरी आंखों से उन्हें विदाई दी।
एसपी गुप्ता का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, लेकिन उनकी संगीत साधना ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई। वे न केवल एक उत्कृष्ट गायक थे, बल्कि एक समर्पित शिक्षाविद भी थे। जिन्होंने कांके प्रखंड क्षेत्र के नेवरी विकास में स्थित ए-वन पब्लिक स्कूल की स्थापना की और सैकड़ों बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संगीत की बारीकियां सिखाईं। स्कूल परिवार में उनके निधन से गहरा सदमा लगा है।
एसपी गुप्ता हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के एक प्रतिष्ठित साधक थे। वे प्रसिद्ध ध्रुपद-धमार गायक थे और देश के सुप्रसिद्ध कलाकारों में शुमार थे। उनकी संगीत शिक्षा की नींव पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी (दरभंगा घराना) के शिष्यत्व में पड़ी, जहां उन्होंने ध्रुपद की गहनता को आत्मसात किया। इसके अलावा, उन्होंने पंडित विनायक राव पटवर्धन (ग्वालियर घराना) से भी संगीत की बारीकियां सीखीं, जो उनकी गायकी में विविधता और गहराई लाई।
उनकी गायकी ने कई प्रतिष्ठित मंचों को रोशन किया। ऑल इंडिया ध्रुपद मेला में उनके प्रदर्शन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, जबकि वाराणसी में पंडित ओंकारनाथ ठाकुर जन्मशती समारोह में उनके गायन ने इतिहास रच दिया। वहां उन्होंने अपनी अनोखी शैली से दिलों पर राज किया और संगीत प्रेमियों की वाहवाही बटोरी।
एसपी गुप्ता ने न केवल प्रदर्शन किए, बल्कि युवा पीढ़ी को संगीत की शिक्षा देकर इस कला को आगे बढ़ाया। झारखंड रत्न सम्मान उनके योगदान का सर्वोच्च प्रमाण था, जो राज्य सरकार ने उन्हें उनकी सेवाओं के लिए प्रदान किया। उनके शिष्यों में से एक ने भावुक होते हुए कहा, “गुरुजी की आवाज में एक जादू था। वे ध्रुपद को जीवंत कर देते थे। उनका जाना संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।”
संगीत समीक्षकों के अनुसार एसपी गुप्ता की गायकी में दरभंगा और ग्वालियर घरानों का अनोखा मिश्रण था, जो उन्हें अन्य कलाकारों से अलग करता था। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर झारखंड का प्रतिनिधित्व किया और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत किया।
संगीत के अलावा एसपी गुप्ता एक समर्पित शिक्षाविद थे। ए-वन पब्लिक स्कूल की स्थापना उनके सपनों का साकार रूप थी, जहां उन्होंने आधुनिक शिक्षा के साथ शास्त्रीय संगीत को एकीकृत किया। स्कूल में संगीत को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर उन्होंने छात्रों को सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ा। उनके प्रयासों से स्कूल न केवल शिक्षा का केंद्र बना, बल्कि संगीत की कार्यशालाओं का भी। नेवरी विकास जैसे ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह का संस्थान स्थापित करना उनके दूरदर्शी सोच का प्रमाण है।
एसपी गुप्ता के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री समेत कई प्रमुख हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड ने एक महान कलाकार और शिक्षक खो दिया। उनका योगदान हमेशा याद रहेगा। संगीत जगत के दिग्गजों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। पंडित सियाराम तिवारी के एक अन्य शिष्य ने कहा कि एसपी गुप्ता का जाना न केवल एक व्यक्ति का अंत है, बल्कि एक युग का समापन। उनकी स्मृति में ए-वन पब्लिक स्कूल में एक संगीत सभागार बनाने की योजना है, जहां उनकी विरासत जीवित रहेगी।