रांची दर्पण (मोहसिन)। ओरमांझी स्थित राष्ट्रीय चिड़िया घर का नाम भले ही भगवान बिरसा जैविक उद्यान सरकार के अधिकारियों ने 36 साल पहले रख दिया जहां से सरकार को करोड़ों करोड़ों रुपए का सालाना इनकम होता है।
मगर आज तक उद्यान में जिस महापुरुष के नाम से उद्यान का नाम रख गया है, उस वीर सपुत धरती आबा का कहीं भी न कोई प्रतिमा है, न ही कोई तस्वीर लटकाया गया है और न ही किसी जैव प्राणी का नाम किसी महापुरुषों के नाम से रखा गया हैं।
आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है कि जिस महापुरुष के नाम से उद्यान का नाम रखा गया उसका एक भी तस्वीर या फोटो या प्रतिमा कहीं नही लगाया गया ।
बिरसा मुंडा की 120 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर मंगलवार को सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों चौक चौराहों पर राजनेताओं सरकारी अधिकारियों जनप्रतिनिधियों व अन्य लोगों ने झारखंड के महा पुरुष के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शहादत दिवस मनाया।
मगर जैविक उद्यान में किसी तरह की कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया यह अफसोस की बात है। 10 साल पहले खिजरी के विधायक सावना लकड़ा ने प्रतिमा लगाने की भरपूर कोशिश की थी, मगर वह विफल रहे।
उद्यान में प्रतिमा नहीं लगाए जाने पर आदिवासी पड़हा समिति राँची के संरक्षक रमेश उरांव ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह प्रबंधन की लापरवाही की वजह से नहीं बन पाया है। इस पर शीघ्र ध्यान देते हुए झारखंड ही नहीं पूरे देश में भगवान माने जाने वाले वीर सपूत का प्रतिमा बनाया जाना चाहिए।