
राँची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 ने भारत के लोकतंत्र को एक नया आयाम दिया है। यह न केवल नागरिकों को सरकारी रिकॉर्ड तक पहुँचने का अधिकार देता है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक शक्तिशाली हथियार के रूप में उभरा है।
रांची जिले के कांके अंचल में हाल ही में सामने आए एक भूमि विवाद ने RTI की इस ताकत को एक बार फिर से साबित किया है। यहाँ रांची दर्पण ने RTI के माध्यम से एक संभावित भूमि घोटाले को उजागर करने की कोशिश की है, जिसने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आम लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की प्रेरणा भी दी है।
कांके अंचल कार्यालय का सच एक जटिल कहानीः झारखंड की राजधानी रांची के कांके अंचल कार्यालय में 25 डिसमिल जमीन से जुड़ा एक विवाद स्थानीय प्रशासन और भूमि कारोबारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करता है। आशा कुमारी, जो इस जमीन के वैध मालिक हैं, उन्होंने 16 वर्ष पहले यह जमीन वैध रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज और जमाबंदी के साथ खरीदी थी।
उनके पास इस जमीन पर निर्विवाद दखल-कब्जा है और वे नियमित रूप से ऑनलाइन रसीद (लगान रसीद) के माध्यम से भूमि कर का भुगतान करते आ रहे हैं। उनके दस्तावेजों के अनुसार कुल रकबा 25 डिसमिल है और यह उनके नाम पर पूरी तरह से दर्ज है।
लेकिन, एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में कांके अंचल कार्यालय ने उसी 25 डिसमिल जमीन में से 12 डिसमिल की जमाबंदी और दाखिल-खारिज राज शेखर (पिता: अभय कुमार) के नाम पर कर दिया। परिणामस्वरूप राजस्व रिकॉर्ड में कुल रकबा 37 डिसमिल दिखाया जा रहा है, जो कि असंभव है, क्योंकि मूल खतियान और भू-नक्शे के अनुसार कुल जमीन केवल 25 डिसमिल ही है।
यह विसंगति स्पष्ट रूप से प्रशासनिक त्रुटि या धोखाधड़ी का परिणाम है। स्थानीय लोगों के बीच चर्चा है कि राज शेखर, जो कथित तौर पर एक जमीन दलाल के रूप में जाना जाता है, उसने जाली दस्तावेजों या अंचल कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से यह दाखिल-खारिज करवाया गया है।
आशा कुमारी ने इस मामले को रांची जिले के भूमि सुधार उप समाहर्ता (डीसीएलआर) कोर्ट में ले जाकर राज शेखर की अवैध जमाबंदी को रद्द करने, दस्तावेजों की जाँच करने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की माँग की है। कोर्ट ने विपक्षी पक्ष को नोटिस जारी किया है और मामला सुनवाई के चरण में है। इस मामले में RTI अधिनियम की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, जिसने इस संभावित घोटाले को उजागर करने में मदद की है।
RTI का उपयोग,सच्चाई की खोजः रांची दर्पण ने RTI अधिनियम- 2005 के तहत कांके अंचल कार्यालय से राज शेखर के 2021 में किए गए दाखिल-खारिज के आधार दस्तावेज, जैसे खतियान, उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, या रजिस्ट्री। 25 डिसमिल की जमीन के लिए 37 डिसमिल की रसीद काटने की विसंगति का कारण और इसका आधार। इस विसंगति के लिए जिम्मेदार अंचल कार्यालय के कर्मचारियों का विवरण। जिला भू-उपसमाहर्ता कार्यालय द्वारा इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा जैसी जानकारी माँगी थी।
RTI अधिनियम की धारा 7(1) के अनुसार जन सूचना अधिकारी को 30 दिनों के भीतर जवाब देना अनिवार्य है। लेकिन कांके अंचल कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने इस समयसीमा का पालन नहीं किया, जो अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है।
इसके बाद रांची दर्पण ने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (रांची सदर अनुमंडल पदाधिकारी) के समक्ष अपील दाखिल की है, जो अभी लंबित है। ये RTI जवाब इस मामले में निर्णायक हो सकते हैं, क्योंकि ये न केवल राज शेखर के दस्तावेजों की वैधता को उजागर करेंगे, बल्कि अंचल कार्यालय की लापरवाही या संभावित मिलीभगत को भी सामने ला सकते हैं।
कांके अंचल कार्यालय की मिलीभगत भूमि घोटालों का लंबा इतिहासः कांके अंचल कार्यालय में इस तरह की विसंगतियाँ कोई नई बात नहीं हैं। हाल के वर्षों में यहाँ कई भूमि घोटाले सामने आए हैं, जिनमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन हड़पने के मामले शामिल हैं।
उदाहरण के लिए 2023 में कांके में 200 एकड़ जमीन से संबंधित एक घोटाला सामने आया था, जिसमें एनआईसी कर्मचारियों और जमीन कारोबारियों की मिलीभगत पाई गई थी। इस मामले में सीआईडी जाँच के आदेश दिए गए थे और कई कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई थी।
आशा कुमारी का मामला भी इसी तरह की लापरवाही या धोखाधड़ी की ओर इशारा करता है। कुल रकबा 25 डिसमिल होने के बावजूद 37 डिसमिल का रिकॉर्ड बनाना न केवल प्रशासनिक मिलीभगत है, बल्कि यह संभावित जालसाजी का भी संकेत देता है।
RTI विशेषज्ञ अनिल शर्मा रांची में भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबे समय से काम कर रहे हैं। वे कहते हैं कि कांके जैसे क्षेत्रों में भूमि रिकॉर्ड की पुरानी प्रणाली और डिजिटलीकरण की कमी ने धोखाधड़ी को बढ़ावा दिया है। RTI के बिना इस तरह के घोटालों को उजागर करना असंभव होता।
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता रीता सिन्हा ने कहा कि RTI न केवल नागरिकों को सशक्त बनाता है, बल्कि यह प्रशासन को जवाबदेह बनाता है। कांके अंचल कार्यालय को अपने रिकॉर्ड और प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाना होगा।
RTI की शक्ति एक लोकतांत्रिक हथियारः RTI अधिनियम-2005 ने भारत के नागरिकों को वह ताकत दी है, जो पहले केवल बड़े अधिकारियों या प्रभावशाली लोगों के पास थी। यह अधिनियम न केवल सरकारी रिकॉर्ड तक पहुँच प्रदान करता है, बल्कि यह भ्रष्टाचार, लापरवाही और धोखाधड़ी के खिलाफ एक प्रभावी उपकरण है। रांची जैसे शहरों में जहाँ भूमि विवाद और प्रशासनिक अनियमितताएँ आम हैं, RTI ने आम लोगों को अपनी आवाज उठाने का मौका दिया है।
इसीलिए राँची दर्पण ने न केवल अपने अधिकारों की रक्षा के लिए RTI का उपयोग किया, बल्कि कांके अंचल कार्यालय की जवाबदेही को भी चुनौती दी। उनके द्वारा माँगी गई जानकारी से यह स्पष्ट हो सकता है कि क्या राज शेखर ने जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए, या अंचल कार्यालय ने बिना उचित सत्यापन के दाखिल-खारिज स्वीकार किया।
यदि धोखाधड़ी सिद्ध होती है तो यह भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (दस्तावेज जालसाजी) और 468 के तहत आपराधिक कार्रवाई का आधार बन सकता है। साथ ही अंचल कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत की जाँच के लिए जिला प्रशासन या सीआईडी को शामिल किया जा सकता है।
प्रशासनिक सुधार की आवश्यकताः कांके अंचल कार्यालय में बार-बार सामने आने वाले भूमि घोटाले यह दर्शाते हैं कि प्रशासनिक सुधार की तत्काल आवश्यकता है। झारखंड में कई दशकों से भूमि सर्वेक्षण नहीं हुआ है, जिसके कारण खतियान और जमाबंदी रिकॉर्ड में विसंगतियाँ आम हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे झारभूमि पोर्टल ने प्रक्रिया को कुछ हद तक पारदर्शी बनाया है, लेकिन कांके जैसे मामलों में यह स्पष्ट है कि सत्यापन प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। RTI विशेषज्ञों का सुझाव है कि अंचल कार्यालयों में निम्नलिखित सुधार किए जाएँ-
कठोर सत्यापन: दाखिल-खारिज और जमाबंदी के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों का कठोर सत्यापन।
डिजिटल रिकॉर्ड: सभी खतियान और जमाबंदी रिकॉर्ड का पूर्ण डिजिटलीकरण।
जवाबदेही: जन सूचना अधिकारियों को RTI जवाबों के लिए समयसीमा का सख्ती से पालन करने का निर्देश।
जाँच तंत्र: संदिग्ध मामलों में स्वतंत्र जाँच समितियों का गठन।
पाठकों से आवाज उठाने का आह्वान: राँची दर्पण अपने पाठकों से आग्रह करता है कि वे RTI अधिनियम का उपयोग करके अपने अधिकारों की रक्षा करें। चाहे वह भूमि विवाद हो, सरकारी योजनाओं में अनियमितता हो या प्रशासनिक लापरवाही हो, RTI आपकी आवाज को ताकत दे सकता है। सच्चाई और न्याय के लिए लड़ना हर नागरिक का अधिकार और कर्तव्य है।
हम आपकी राय जानना चाहते हैं। कांके के इस भूमि विवाद और RTI के उपयोग पर आप क्या सोचते हैं? क्या आपने कभी RTI का उपयोग किया है या क्या आप इसे भविष्य में उपयोग करना चाहेंगे? अपनी राय हमें ईमेल करें: ranchidarpan.com@gmail.com या व्हाट्सएप पर लिखें: 08987495562। आपकी आवाज इस बदलाव का हिस्सा बन सकती है।
हमारे अगले लेख में हम कांके अंचल कार्यालय की जवाबदेही और प्रशासनिक सुधारों पर गहराई से चर्चा करेंगे। क्या स्थानीय प्रशासन इन विसंगतियों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठा रहा है? क्या RTI जैसे उपकरण भविष्य में ऐसी समस्याओं को रोक सकते हैं? क्या डिजिटलीकरण और सख्त सत्यापन प्रक्रियाएँ कांके जैसे क्षेत्रों में भूमि घोटालों को खत्म कर सकती हैं? इन सवालों के जवाब और अधिक जानकारी के लिए बने रहें राँची दर्पण के साथ।