
राँची दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय । झारखंड सरकार ने वर्ष 2010 में JharBhoomi पोर्टल की शुरुआत की थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य राज्य के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और पारदर्शी बनाना था। इस पोर्टल के माध्यम से नागरिकों को अपनी जमाबंदी, रसीद और खतियान की जानकारी आसानी से ऑनलाइन प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था।
यह एक सराहनीय कदम था, जो भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता और सुगमता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना गया। लेकिन कांके अंचल कार्यालय में सामने आए मामले ने इस पोर्टल की गंभीर कमियों को उजागर किया है, जिसने न केवल सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों को भी हवा दी है।
राँची के कांके अंचल में खाता संख्या-17, आरएस प्लॉट नंबर-1335 की 25 डिसमिल भूमि के लिए 37 डिसमिल की रसीद काटे जाने का मामला सामने आया है। इसके साथ ही राज शेखर के नाम पर संदिग्ध दाखिल-खारिज की प्रक्रिया ने JharBhoomi पोर्टल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह घटना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि पोर्टल पर रिकॉर्ड सत्यापन की प्रक्रिया या तो अपर्याप्त है या फिर जानबूझकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
रांची दर्पण ने इस मामले की गहराई से पड़ताल की और भू-राजस्व विशेषज्ञों, तकनीकी विशेषज्ञों और प्रभावित नागरिकों से बातचीत की। इस दौरान JharBhoomi पोर्टल की निम्नलिखित कमियाँ सामने आईं-
अपर्याप्त सत्यापन प्रक्रियाः JharBhoomi पोर्टल पर दाखिल-खारिज और रसीद जारी करने से पहले पुराने रिकॉर्ड्स, जैसे खतियान और रजिस्ट्री, का उचित मिलान नहीं किया जाता। इसकी वजह से गलत जमाबंदी दर्ज होने की संभावना बढ़ जाती है।
कांके अंचल के मामले में 25 डिसमिल की जमीन के लिए 37 डिसमिल की रसीद काटा जाना इसी कमी का परिणाम है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक स्वचालित और मजबूत सत्यापन प्रणाली की अनुपस्थिति इस तरह की त्रुटियों को जन्म देती है।
पुराने रिकॉर्ड्स का अधूरा डिजिटलीकरणः झारखंड में कई पुराने भूमि रिकॉर्ड्स अभी तक डिजिटल नहीं किए गए हैं। इसका परिणाम यह होता है कि मैनुअल रिकॉर्ड्स और डिजिटल डेटा में विसंगतियाँ उत्पन्न होती हैं।
कई बार पुराने रिकॉर्ड्स की अनुपलब्धता के कारण गलत जानकारी पोर्टल पर अपलोड हो जाती है। जिससे नागरिकों को अपनी जमीन के स्वामित्व को साबित करने में परेशानी होती है।
कर्मचारियों का अपर्याप्त प्रशिक्षणः अंचल कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को JharBhoomi पोर्टल के उपयोग और डिजिटल सत्यापन प्रक्रिया का पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।
इसकी वजह से तकनीकी त्रुटियाँ और मानवीय भूलें आम हो गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कर्मचारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण और तकनीकी दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता है।
नियमित ऑडिट की कमीः JharBhoomi पोर्टल पर दर्ज रिकॉर्ड्स का नियमित ऑडिट नहीं किया जाता। इसकी वजह से त्रुटियाँ और अनियमितताएँ लंबे समय तक अनदेखी रहती हैं।
यदि समय-समय पर ऑडिट और डेटा सत्यापन की प्रक्रिया अपनाई जाए तो इस तरह की समस्याओं को शुरुआती स्तर पर ही हल किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार का खुला खेलः सबसे गंभीर समस्या है JharBhoomi पोर्टल से जुड़े लोगों और जमीन कारोबारियों की मिलीभगत। कांके अंचल के मामले में यह सवाल उठता है कि आखिर 25 डिसमिल की जमीन पर अतिरिक्त 12 डिसमिल की रसीद कैसे स्वीकार की गई?
यह भ्रष्टाचार और लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना कठोर कार्रवाई और पारदर्शी प्रक्रिया के इस तरह की घटनाओं को रोकना मुश्किल है।
भू-राजस्व विभाग की चुप्पीः रांची दर्पण ने इस मामले में झारखंड के भू-राजस्व विभाग से जवाब माँगा, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
विभाग की इस चुप्पी ने नागरिकों के बीच असंतोष को और बढ़ा दिया है। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार इस पोर्टल को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए गंभीर है?
विशेषज्ञों के सुझाव: JharBhoomi को बेहतर बनाने के उपायः भू-राजस्व और तकनीकी विशेषज्ञों ने JharBhoomi पोर्टल को अधिक प्रभावी और विश्वसनीय बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं-
स्वचालित सत्यापन प्रणाली: दाखिल-खारिज और रसीद जारी करने से पहले पुराने रिकॉर्ड्स का स्वचालित मिलान अनिवार्य किया जाए। यह त्रुटियों को कम करने में मदद करेगा।
पुराने रिकॉर्ड्स का पूर्ण डिजिटलीकरण: सभी पुराने खतियान और रजिस्ट्री को डिजिटल प्रारूप में लाया जाए, ताकि डेटा में एकरूपता हो।
कर्मचारियों का प्रशिक्षण: अंचल कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को डिजिटल सिस्टम और सत्यापन प्रक्रिया का नियमित प्रशिक्षण दिया जाए।
नियमित ऑडिट और मॉनिटरिंग: पोर्टल पर दर्ज रिकॉर्ड्स का समय-समय पर ऑडिट किया जाए और किसी भी विसंगति की स्थिति में तुरंत कार्रवाई हो।
भ्रष्टाचार पर कठोर कार्रवाई: भ्रष्ट आचरण में लिप्त कर्मचारियों और बिचौलियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि पोर्टल की विश्वसनीयता बनी रहे।
क्योंकि JharBhoomi पोर्टल की कमियों का असर झारखंड के उन हजारों नागरिकों पर पड़ रहा है, जो डिजिटल रिकॉर्ड्स में त्रुटियों के कारण अपनी जमीन के स्वामित्व को खोने की आशंका से जूझ रहे हैं। कांके अंचल का मामला केवल एक उदाहरण है। ऐसे कई मामले सामने आ सकते हैं, यदि इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया।
रांची दर्पण नागरिकों से आग्रह करता है कि वे JharBhoomi पोर्टल से संबंधित अपनी समस्याओं और अनुभवों को हमारे साथ साझा करें। आप हमें ईमेल: ranchidarpan.com@gmail.com या व्हाट्सएप नंबर: 08987495562 पर संपर्क कर सकते हैं। आपकी कहानियाँ इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा और सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
हमारे अगले लेख में हम छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम और रैयती भूमि के नियमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि नागरिकों को अपनी जमीन के अधिकारों के बारे में और अधिक जानकारी मिल सके। रांची दर्पण इस मुद्दे को उठाता रहेगा और सरकार से माँग करता है कि JharBhoomi पोर्टल को और अधिक पारदर्शी, विश्वसनीय और नागरिक-हितैषी बनाया जाए।