
रांची दर्पण डेस्क | रांची, 20 दिसंबर 2025 | बिहार की राजनीति में हिजाब विवाद ने आग लगा दी है, और अब यह आग झारखंड तक फैल चुकी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का नकाब हटाने की घटना पर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है, लेकिन झारखंड के रांची विधानसभा से भाजपा के वरीय विधायक सीपी सिंह ने इस मामले को एक नया और विवादास्पद आयाम दे दिया है।
सिंह ने दावा किया है कि जिस डॉक्टर नुसरत परवीन का हिजाब नीतीश कुमार ने हटाया था, उनके दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम ब्लास्ट से संभावित संबंध हो सकते हैं। यह बयान न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि सोशल मीडिया पर भी तूफान ला रहा है।
घटना की शुरुआत बिहार के पटना में हुई, जहां नीतीश कुमार एक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में शिरकत कर रहे थे। समारोह के दौरान, जब डॉ. नुसरत परवीन मंच पर आईं, तो मुख्यमंत्री ने उनके नकाब को हटाने की कोशिश की। उनका तर्क था कि वे महिला को ‘बेटी’ की नजर से देख रहे थे, लेकिन यह हरकत विपक्ष और सामाजिक संगठनों के निशाने पर आ गई।
विपक्षी दलों ने इसे ‘महिला अस्मिता पर हमला’ करार दिया, जबकि नीतीश समर्थकों ने इसे ‘सौहार्दपूर्ण’ बताया। मामला इतना गर्मा गया कि पाकिस्तान तक पहुंच गया, जहां इसे भारत की ‘इस्लामोफोबिया’ का उदाहरण बताया गया।
इस विवाद के बीच झारखंड के रांची से भाजपा विधायक सीपी सिंह ने एबीपी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ऐसा बयान दिया, जो सुर्खियां बटोर रहा है। सिंह ने कहा, “मुझे तो ये लगता है कि इस डॉक्टर का कनेक्शन दिल्ली में लाल किले के पास हुए बम ब्लास्ट से तो नहीं है। पूरी जांच होनी चाहिए। नीतीश जी ने नकाब इसलिए हटाया क्योंकि वे उसे बेटी की तरह देख रहे थे, लेकिन कुछ लोग इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं।”
सिंह का यह बयान न केवल डॉ. नुसरत पर व्यक्तिगत हमला लगता है, बल्कि पूरे हिजाब विवाद को एक कथित ‘सुरक्षा खतरे’ से जोड़ देता है। दिल्ली का लाल किला ब्लास्ट, जो पिछले साल हुआ था, में आतंकी तत्वों की संलिप्तता सामने आई थी, लेकिन डॉ. नुसरत का इससे कोई प्रमाणित संबंध नहीं है।
सीपी सिंह का बयान आते ही सोशल मीडिया पर आक्रोश की लहर दौड़ पड़ी। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #HijabControversy और #CPSingh ट्रेंड कर रहा है। एक यूजर ने लिखा, “ये क्या बकवास है? एक महिला डॉक्टर पर ब्लास्ट का आरोप लगाना भाजपा की राजनीति का नया स्तर है।”
वहीं, भाजपा समर्थक इसे ‘जागरूकता का संदेश’ बता रहे हैं। झारखंड कांग्रेस ने सिंह के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह ‘नफरत फैलाने वाली राजनीति’ है और पार्टी से माफी की मांग की है।
डॉ. नुसरत परवीन ने इस बीच चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, “मैं एक डॉक्टर हूं, मरीजों की सेवा करती हूं। यह सब मेरी निजी जिंदगी पर हमला है। मैं चार दिनों से घर पर हूं, लेकिन अब लौटूंगी और अपना काम जारी रखूंगी।” उनका यह बयान महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है।
वहीं, बिहार में भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश के मूल कदम का समर्थन किया है, जबकि बॉलीवुड गीतकार जावेद अख्तर ने इसे ‘अपमानजनक’ बताते हुए माफी की मांग की। बाबा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने भी टिप्पणी की कि ‘हिजाब हटाना गलत नहीं, लेकिन संदर्भ महत्वपूर्ण है।’
बहरहाल यह विवाद अब राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है या वाकई कोई गहरा षड्यंत्र? फिलहाल, यह घटना महिलाओं की गरिमा, धार्मिक स्वतंत्रता और राजनीतिक नैतिकता पर बहस छेड़ रही है।









