रांची नगर निकाय चुनाव में बड़ा बदलाव, डिप्टी मेयर के चयन के नियम भी बदले

रांची दर्पण डेस्क। झारखंड की राजधानी रांची नगर निकाय चुनाव में डिप्टी मेयर के चयन की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। वर्ष 2018 में जहां रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान के जरिए हुआ था, वहीं अब यह जिम्मेदारी चुने गए पार्षदों के कंधों पर होगी।

झारखंड सरकार ने नगरपालिका अधिनियम में संशोधन करते हुए डिप्टी मेयर के लिए प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। इसके तहत अब डिप्टी मेयर का चयन अप्रत्यक्ष मतदान के जरिए होगा, जिसमें केवल निर्वाचित पार्षद ही वोट डाल सकेंगे।

नए नियमों के अनुसार रांची सहित झारखंड के किसी भी नगर निगम में डिप्टी मेयर का पद आरक्षित नहीं होगा। इस पद के लिए किसी भी जाति, धर्म या लिंग के व्यक्ति चुनाव लड़ सकते हैं। विशेष रूप से महिलाएं भी इस पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर सकेंगी।

यह बदलाव न केवल रांची नगर निगम, बल्कि राज्य के सभी नगर निकायों पर लागू होगा। इसका मतलब है कि डिप्टी मेयर का चयन पूरी तरह से पार्षदों की पसंद पर निर्भर करेगा, जिससे इस प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा की उम्मीद की जा रही है।

आगामी नगर निकाय चुनावों के लिए झारखंड सरकार ने मेयर, नगर परिषद और नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण नियम तय कर दिए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग को इन पदों के लिए आरक्षण निर्धारित करने का अधिकार सौंपा गया है। हालांकि मेयर पद के लिए किसी विशेष वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान नहीं होगा।

उदाहरण के तौर पर यदि रांची नगर निगम का मेयर पद अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित होता है तो इस वर्ग की महिलाएं और पुरुष दोनों ही इस पद के लिए चुनाव लड़ सकेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि योग्य उम्मीदवारों को अवसर मिले, चाहे वे किसी भी लिंग के हों।

झारखंड में लंबे समय से लंबित नगर निकाय चुनावों को लेकर राज्य सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कैबिनेट ने नगर निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण निर्धारण से जुड़ी नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अब ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के आधार पर ओबीसी को 50 प्रतिशत की सीमा के भीतर आरक्षण दिया जाएगा।

पहले केवल अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए ही आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन अब ओबीसी को बीसी-1 और बीसी-2 वर्गों में बांटकर उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण प्रदान किया जाएगा। इससे हर निकाय क्षेत्र में ओबीसी आरक्षण की सीमा अलग-अलग होगी।

नगर विकास विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके तहत राज्य निर्वाचन आयोग को आरक्षण और चुनाव कार्यक्रम तय करने का अधिकार प्राप्त हो गया है। आयोग ने भी निकाय चुनाव कराने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सूत्रों की मानें तो जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। रांची नगर निगम सहित पूरे झारखंड में लंबे समय से नगर निकाय चुनाव लंबित हैं, और इस बदलाव के बाद स्थानीय निकायों में नई ऊर्जा और नेतृत्व की उम्मीद जताई जा रही है।

बहरहाल नए नियमों ने जहां एक ओर पार्षदों की जिम्मेदारी बढ़ा दी है, वहीं जनता के बीच भी इस बदलाव को लेकर चर्चा तेज है। कुछ लोग इसे अधिक लोकतांत्रिक कदम मान रहे हैं, क्योंकि पार्षदों को स्थानीय समस्याओं की गहरी समझ होती है। वहीं कुछ का मानना है कि प्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया जनता को सीधे अपने नेता चुनने का अधिकार देती थी, जिसे अब सीमित कर दिया गया है।

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