
रांची (रांची दर्पण संवाददाता)। झारखंड के स्कूली बच्चों के लिए एक नई और महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत होने जा रही है। वर्ष 2026 से राज्य में कक्षा एक से 12वीं तक के सभी स्कूली बच्चों को निःशुल्क किताबें प्रदान करने की जिम्मेदारी अब झारखंड शिक्षा परियोजना (जेकेपी) को सौंपी गई है।
पहले यह कार्य झारखंड शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (जेसीइआरटी) की देखरेख में होता था, लेकिन अब कैबिनेट की स्वीकृति के बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इस बदलाव से किताबों की छपाई और वितरण की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित करने का लक्ष्य है।
समग्र शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त किताबें
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निःशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। इस योजना के तहत किताबों के लिए 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है।
वहीं कक्षा नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए किताबों का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाती है। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक तंगी के कारण कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
टेंडर प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
झारखंड शिक्षा परियोजना ने निःशुल्क किताबों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेजा है। विभाग की मंजूरी मिलने के बाद अगले माह से टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। अगले शैक्षणिक सत्र (2026) की शुरुआत से पहले सभी बच्चों तक किताबें पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किताबों की गुणवत्ता और समय पर वितरण में कोई कमी न रहे।
अल्पसंख्यक स्कूलों में भी मुफ्त किताबें
नई व्यवस्था के तहत वित्त सहित अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा नौवीं और 10वीं के सभी विद्यार्थियों को भी निःशुल्क किताबें दी जाएंगी। इन विद्यार्थियों को पांच मुख्य विषयों हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, गणित और विज्ञान की किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में समावेशिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
किताब वितरण पर खर्च होंगे 200 करोड़ रुपये
राज्य में निःशुल्क किताब वितरण पर हर साल लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इसमें कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए करीब 100 करोड़ रुपये और कक्षा नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए लगभग 90 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है। बढ़ती छात्र संख्या को देखते हुए इस राशि में और वृद्धि होने की संभावना है।
प्लस टू स्कूलों में बढ़ रहा नामांकन
राज्य में इस वर्ष से अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट के नामांकन पर रोक लगा दी गई है। इसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी अब इंटर कॉलेजों और प्लस टू विद्यालयों में नामांकन ले रहे हैं। इस बदलाव के कारण प्लस टू विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अगले वर्ष से इन स्कूलों के बच्चों को भी निःशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे शिक्षा की पहुंच और व्यापक होगी।
शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कदम
यह नई व्यवस्था न केवल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री प्रदान करेगी, बल्कि झारखंड के शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देगी। झारखंड शिक्षा परियोजना की यह पहल राज्य के लाखों बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अगले शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले सभी तैयारियां पूरी करने के लिए विभाग सक्रिय रूप से काम कर रहा है।







