
रांची दर्पण डेस्क। झारखंड कृषि विभाग में उप परियोजना निदेशक के पद पर चयनित अधिकारियों को नियुक्ति पत्र मिले पाँच माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन उन्हें अब तक उनके कार्यस्थल पर पदस्थापित नहीं किया गया है। 15 साल के लंबे अंतराल के बाद हुई इस बहाली प्रक्रिया ने अब अनिश्चितता की चादर ओढ़ ली है, जिससे चयनित अधिकारी असमंजस की स्थिति में हैं।
झारखंड कृषि विभाग में जून माह में जिला स्तर के पद उप परियोजना निदेशक के लिए एक दर्जन अधिकारियों का चयन किया गया था। इन्हें 14 जून को रांची में आयोजित एक समारोह में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के हाथों नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया था। नियुक्ति पत्र मिलने के बाद सभी चयनित अधिकारियों ने 20 जून को समेति कार्यालय में योगदान भी दे दिया था।
इस पद पर बहाली 2010 से रिक्त होने के कारण, लगभग 15 साल बाद की गई थी। बहाली प्रक्रिया में तत्कालीन कृषि निदेशक डॉ. ताराचंद समेत विभाग से बाहर के विशेषज्ञ भी शामिल थे। कंप्यूटर आधारित परीक्षा और इंटरव्यू के बाद चयन प्रक्रिया पूरी की गई थी।
हालांकि, योगदान देने के तुरंत बाद ही कई आवेदकों ने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसमें पारदर्शिता का पालन नहीं किए जाने की लिखित शिकायत कृषि निदेशक कार्यालय में की। शिकायत करने वालों में मनोज यादव, संतोष कुमार यादव, अनिल यादव और इला चंदन जैसे आवेदक शामिल थे, जिनका कहना था कि नियुक्ति के दौरान दिए गए अंक सही नहीं थे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कृषि निदेशक भोर सिंह यादव ने चयन प्रक्रिया की फिर से जांच कराई, जिसमें आवेदकों की शिकायतों की भी छानबीन की गई। जांच पूरी होने के बाद मामला फिर से कृषि विभाग को भेज दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, कृषि विभाग इस मामले पर करीब एक माह से मंथन कर रहा है, लेकिन अब तक उप परियोजना निदेशकों के पदस्थापन का अंतिम आदेश जारी नहीं किया गया है। विभागीय अधिकारियों ने स्क्रूटनी कमेटी द्वारा दिए गए अंकों की एक बार फिर से समीक्षा करने का प्रस्ताव दिया है।
चयनित अभ्यार्थियों ने कई बार विभाग से संपर्क साधा है, लेकिन पांच माह बीत जाने के बाद भी वे अब तक पदस्थापन का इंतज़ार कर रहे हैं। 15 साल के लंबे इंतज़ार के बाद हुई इस बहाली प्रक्रिया का भविष्य अब विभागीय निर्णय पर टिका है।







